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कविता

काल को सुनना पड़ेगा

कृष्ण कुमार


काल को सुनना पड़ेगा।

क्रांति के ध्वज को उठाओ
सो रहे उनको जगाओ
बिगुल वाणी का बजा कर,
साँस को गुनना पड़ेगा।

अब पुराने युद्ध सारे व्यर्थ हैं
यंत्र के उपयोग उनके अर्थ हैं
यंत्र का बाहुल्य चारों ओर है,
धर्म को बुनना पड़ेगा।

सोच की जब क्रांति होगी
हर तरफ सुख-शांति होगी
जब विचारों का यहाँ पर युद्ध होगा,
शांति को चुनना पड़ेगा।


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